नमस्ते, दोस्तों! मेरा नाम रोहन (नाम बदला हुआ) है, और मैं गुजरात के सूरत शहर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 19 साल है, और आज मैं आपके सामने एक ऐसी कहानी लेकर आया हूँ, जो मेरे जीवन की एक अनघट घटना पर आधारित है। यह कहानी मेरी मम्मी और उनके एक करीबी रिश्तेदार के बीच की है, जिसे मैंने अपनी आँखों से देखा और जिसने मेरे मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
हमारा परिवार सूरत में एक संपन्न परिवार है। मेरे पिता, श्री राजेश शर्मा, एक सफल ठेकेदार हैं, जिनका निर्माण व्यवसाय पूरे शहर में मशहूर है। वे दिन-रात काम में व्यस्त रहते हैं और अक्सर देर रात या सुबह ही घर लौटते हैं। हमारा घर बड़ा है, और इसमें पैसे की कोई कमी नहीं है। मेरी मम्मी, जिनका नाम कविता (नाम बदला हुआ) है, 42 साल की हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती और फिटनेस ऐसी है कि वे 30 साल से ज्यादा की नहीं लगतीं। उनका फिगर 36-32-38 है, और उनकी चूत और चूचों की बनावट ऐसी है कि हर कोई उनकी ओर आकर्षित हो जाता है। वे हमेशा स्टाइलिश कपड़े पहनती हैं, जिससे उनकी सुंदरता और भी निखर जाती है।
मम्मी की खासियत यह है कि वे बहुत मिलनसार हैं। वे हर किसी से आसानी से घुल-मिल जाती हैं और अपनी बातों से सामने वाले को आकर्षित कर लेती हैं। उनकी चूत की गर्मी और उनके चूचों की उभार देखकर कोई भी मर्द पागल हो सकता है। मैंने कई बार सोचा कि उनकी यह खूबी शायद उनके जीवन में कुछ अलग रंग लाती होगी। लेकिन मैंने कभी उनके बारे में गलत नहीं सोचा, क्योंकि वे मेरी मम्मी हैं, और मेरे लिए उनका सम्मान सबसे ऊपर है।
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हमारे घर में मेरा एक फुफेरा भाई, जिसका नाम विक्रम (नाम बदला हुआ) है, अक्सर आता-जाता रहता है। विक्रम मेरे पिता की बहन का बेटा है और 28 साल का है। वह एक बिजनेस मैन है और अपने काम के सिलसिले में हमारे घर पर लंबे समय तक रुका हुआ है। विक्रम का लंड हमेशा तना हुआ लगता है, और उसकी नजरें मम्मी की चूत और चूचों पर अक्सर टिक जाती थीं। वह और मेरी बहुत अच्छी बनती है। वह मुझे अपने छोटे भाई की तरह मानता है, मेरे साथ घूमने जाता है, और हमेशा मेरी जरूरतों का ख्याल रखता है।
पिता ने विक्रम को हमेशा कहा कि यह उसका अपना घर है, और उसे जो ठीक लगे, वह करे। मम्मी को भी अगर कोई काम हो या कहीं जाना हो, तो विक्रम उनकी मदद करता था। धीरे-धीरे मुझे यह महसूस होने लगा कि मम्मी और विक्रम के बीच कुछ ऐसा है, जो सामान्य रिश्तेदारों से परे है। उनकी बातचीत में एक अलग ही तालमेल दिखता था, जैसे विक्रम की नजरें मम्मी की चूत पर टिकी रहती थीं।
मैं उस समय डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहा था। कॉलेज से जल्दी आने पर मैंने कई बार देखा कि मम्मी अपने कमरे में दरवाजा बंद करके किसी से फोन पर बात करती थीं। उनकी आवाज में एक अजीब सी मिठास और हंसी होती थी, जैसे वे अपनी चूत की गर्मी की बात कर रही हों। एक बार मम्मी का फोन खराब हो गया था। मैंने विक्रम से कहा कि मैं उसे ठीक करवा दूंगा, क्योंकि मेरा एक दोस्त मोबाइल रिपेयर की दुकान चलाता है। विक्रम ने कहा, “ठीक है, ले जा, लेकिन फोन फॉर्मेट करके ही चालू करना।”
मुझे उनकी यह बात अजीब लगी। मैंने फोन ठीक करवाया, लेकिन फॉर्मेट नहीं किया। जब मैंने फोन चेक किया, तो उसमें मम्मी और विक्रम की व्हाट्सएप चैट थी। मैंने सारी चैट अपने फोन में ट्रांसफर कर ली और एक दोस्त की मदद से उसकी एक फाइल बना ली। बाद में मैंने फोन फॉर्मेट करके मम्मी को दे दिया।
जब मैंने चैट पढ़ी, तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। चैट में मम्मी और विक्रम के बीच ऐसी बातें थीं, जो एक सामान्य रिश्तेदार के बीच नहीं होनी चाहिए। विक्रम मम्मी को उनके नाम से बुलाता था और कई बार “रंडी” जैसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करता था। मम्मी भी उसका जवाब उसी अंदाज में देती थीं, जैसे “मेरी चूत तेरे लंड के लिए तरस रही है।” चैट में कुछ तस्वीरें भी थीं, जिनमें मम्मी की चूत और चूचों की तस्वीरें थीं, जिनमें उनकी झांट साफ दिख रही थी। यह सब देखकर मुझे यकीन हो गया कि उनके बीच कुछ गलत चल रहा है।
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चैट से पता चला कि यह सिलसिला पिछले 6-7 महीनों से चल रहा था। विक्रम मम्मी से रोजाना उनकी चूत और चूचों की तस्वीरें मांगता था और उनके कपड़ों, खासकर उनकी लिंगरी के बारे में बात करता था। मम्मी भी खुलकर उससे अपनी चूत की गर्मी और झांट की बात करती थीं। कई बार दूसरी औरतों की चूत और चूचों के बारे में भी चर्चा होती थी। यह सब पढ़कर मेरे मन में एक अजीब सा उलझन पैदा हो गया। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए।
इस खुलासे के बाद मैंने मम्मी और विक्रम पर नजर रखना शुरू कर दिया। मुझे उनकी चूत और लंड की बातें लाइव देखने की उत्सुकता थी। हमारे घर में मम्मी-पापा का कमरा ग्राउंड फ्लोर पर था, जबकि मेरा और विक्रम का कमरा ऊपरी मंजिल पर। लेकिन कुछ समय पहले मम्मी ने विक्रम का कमरा नीचे करवा दिया था। यह बात भी मुझे चैट से पता चली थी।
जब भी पापा को देर होने वाली होती थी, मैं जानबूझकर नीचे टीवी देखने बैठ जाता। मम्मी मुझे किसी न किसी बहाने ऊपर भेज देती थीं। एक दिन मैं ऊपर गया, लेकिन थोड़ी देर बाद चुपके से नीचे आ गया। मम्मी और विक्रम का कमरा बंद था, और अंदर से कुछ आवाजें आ रही थीं। मैंने कान लगाकर सुना।
अंदर मम्मी और विक्रम की बातचीत चल रही थी। मैंने जो सुना, वह मेरे लिए हैरान करने वाला था।
कविता: “विक्रम, अभी देखा ना, रोहन टीवी देखने की जिद कर रहा था। मुझे लगता है कि उसे मेरी चूत और तेरे लंड की बात पर शक हो गया है।”
विक्रम: “अरे, कुछ नहीं, तू ज्यादा सोच मत। तू तो बस अपनी चूत के नखरे दिखाती रह। वैसे, सुबह-सुबह तू उस दूधवाले रमेश के पास अपनी झांट साफ करके क्यों जाती है?”
कविता: “अरे, बस थोड़ा मजा लेती हूँ। मुझे अपनी चूत दिखाकर लोगों को ललचाने में मजा आता है। लेकिन तू जानता है, मेरी चूत का असली मालिक तेरा लंड है। और सुन, अब थोड़ा संभलकर रहना। रोहन को कुछ पता नहीं चलना चाहिए।”
विक्रम: “चिंता मत कर, कविता। तू मेरी रंडी है, और हमेशा रहेगी। मेरी शादी के बाद भी मैं तेरी चूत को अपने लंड से चोदूंगा।”
कविता: “हाँ, शादी के बाद तो तू अपनी बीवी की चूत के पीछे भागेगा और मेरी चूत को भूल जाएगा।”
विक्रम: “अरे, तेरी चूत को कोई कैसे भूल सकता है? तू तो इतनी हॉट है। चल, अब जल्दी से मूड बना। आज तेरी चूत को उस काली लिंगरी में देखना है।”
कविता: “ठीक है, मेरे लंड के मालिक। और कोई फरमाइश?”
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यह बातचीत सुनकर मेरा मन उलझन में पड़ गया। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे गुस्सा करना चाहिए या यह सब सामान्य है। लेकिन मेरी जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी।
उस रात का माहौल कुछ अलग ही था। हवा में एक अजीब सी गर्मी थी, जैसे कोई तूफान आने वाला हो। मैं चुपके से सीढ़ियों से नीचे उतरा, मेरे दिल की धड़कनें तेज थीं, और मन में एक अनजानी सी उत्तेजना। मम्मी और विक्रम का कमरा बंद था, लेकिन दरवाजे के नीचे से हल्की सी रोशनी बाहर आ रही थी, और अंदर से आने वाली आवाजें मेरे कानों में मधुर संगीत की तरह गूंज रही थीं। मैंने धीरे से कान दरवाजे से लगाया, और जो सुना, उसने मेरे शरीर में आग सी लगा दी।
कमरे के अंदर मम्मी, कविता, की सिसकारियाँ हवा में तैर रही थीं, जैसे उनकी चूत की गर्मी अब और बर्दाश्त से बाहर हो। विक्रम की भारी साँसें और उसका लंड जोर-जोर से मम्मी की चूत को ठोक रहा था, उसकी आवाजें कमरे की दीवारों से टकराकर बाहर तक आ रही थीं। “आह… विक्रम… धीरे… मेरी चूत को इतना जोर से मत पेल,” मम्मी की आवाज में दर्द और मस्ती का मिश्रण था। उनकी सिसकारियाँ ऐसी थीं, जैसे उनकी झांट साफ की हुई चूत विक्रम के लंड की हर ठोकर के साथ और गीली हो रही हो।
विक्रम हँसा, उसकी आवाज में एक जंगलीपन था। “कविता, मेरी रंडी, तेरी चूत इतनी टाइट और गर्म है कि मेरा लंड रुक ही नहीं पाता। तू तो बस मेरे लिए बनी है!” उसकी बातों में एक ऐसी आग थी जो मम्मी की चूत को और भड़का रही थी। मैं सुन रहा था कि कैसे मम्मी ने एक लंबी सिसकारी भरी, शायद विक्रम ने उनकी चूत में और गहराई तक अपना लंड पेल दिया था। “उम्म… आह… सागर… मेरी चूत को तेरा लंड ऐसे चोद रहा है जैसे कोई जंगल का शेर अपनी मादा को रगड़ रहा हो,” मम्मी की आवाज में मस्ती थी, और उनकी बातें सुनकर मेरे शरीर में भी एक अजीब सी गर्मी दौड़ गई।
अंदर का दृश्य मैं देख नहीं पा रहा था, लेकिन आवाजों से सब कुछ साफ था। ठप-ठप की आवाजें तेज हो रही थीं, जैसे विक्रम का लंड मम्मी की चूत को बेरहमी से चोद रहा हो। मम्मी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, “आह… विक्रम… मेरी चूत फट जाएगी… धीरे कर ना… प्लीज!” लेकिन विक्रम रुकने के मूड में नहीं था। “साली, मेरी रंडी, तेरी चूत को आज मैं पूरा चोद डालूंगा। तू मेरी है, और तेरा ये मस्त माल मेरे लंड का गुलाम है!” उसकी आवाज में एक विजेता की गर्जना थी, और मम्मी की सिसकारियाँ उसकी हर बात को मानो हामी भर रही थीं।
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मैंने सुना कि मम्मी ने एक बार फिर कहा, “विक्रम, मेरी चूत को तेरा लंड इतना मस्ती दे रहा है… बस थोड़ा और… और जोर से!” उनकी आवाज में अब दर्द कम और मस्ती ज्यादा थी। शायद मम्मी ने अपनी टाँगें और चौड़ी कर दी थीं, ताकि विक्रम का लंड उनकी चूत की गहराइयों को और छू सके। उनकी झांट साफ की हुई चूत की गर्मी और गीलापन कमरे में एक अलग ही खुशबू बिखेर रहा होगा, ऐसा मुझे लगा।
कमरे के अंदर का खेल अब अपने चरम पर था। विक्रम की साँसें और तेज हो गई थीं, और उसकी आवाज में एक जुनून था, “कविता, मेरी जान, तेरी चूत का स्वाद मेरे लंड को पागल कर देता है। आज तुझे चोद-चोद कर मैं तेरी चूत का पानी निकाल दूंगा!” मम्मी की सिसकारियाँ अब एक लय में थीं, जैसे उनकी चूत और विक्रम का लंड एक साथ एक नाच नाच रहे हों। “आह… उमम्म… हाँ… चोद दे मेरी चूत को… तेरा लंड मेरी चूत का राजा है!” मम्मी की बातें सुनकर मेरा शरीर काँप रहा था, और मेरे मन में एक अजीब सी उत्तेजना थी।
यह सब सुनकर मैं चुपके से अपने कमरे में लौट गया। मेरे मन में एक तूफान सा उठ रहा था। मम्मी की चूत की सिसकारियाँ और विक्रम के लंड की ठोकरों की आवाजें मेरे कानों में गूंज रही थीं। मैं रात भर सोचता रहा कि यह सब क्या था—क्या यह गलत था, या यह बस उनकी अपनी दुनिया थी? मेरे मन में मम्मी के लिए सम्मान था, लेकिन उनकी चूत और विक्रम के लंड की यह कहानी मेरे दिमाग में बार-बार घूम रही थी।
यह कहानी लिखते समय मेरे मन में कई तरह की भावनाएँ थीं। एक तरफ मैं अपनी मम्मी के लिए सम्मान रखता हूँ, लेकिन दूसरी तरफ यह सच्चाई मेरे सामने थी। मैंने यह कहानी इसलिए लिखी, ताकि मैं अपने मन का बोझ हल्का कर सकूँ।
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