हास्य कविताएँ (Hasya Kavitayen)
चाँदी जैसी चूत है तेरी, उस पे सोने जैसे बाल .. एक तू ही धनवान है रण्डी, बाकी सब कंगाल.. जिस रस्ते से तू गुजरे, सबके लण्ड खड़े हो जाएँ.. तेरी चूत की कोमल आहट, सोते लण्ड उठाये.. जो लौड़ा चूसे तू गोरी, वो पत्थर बन जाए.. तू जिससे चुदवा ले अपनी, वो डाले तुझमें माल.. एक तूही धनवान है रण्डी, बाकी सब कंगाल.. जो भी छेद हों तेरे उसमें, लण्ड घुसाते लोग.. तू नादान न जाने, कैसे चूत बजाते लोग.. छैलछबीली रण्डी थोड़ी चूची और निकाल.. तेरी चूत न फटे कभी, तू चुदे हज़ारों साल.. एक तू ही धनवान है रण्डी, बाकी सब कंगाल! *** मुझ से माँगता था रोज़, मैं उसे टाल जाती थी जब भी वो देख