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अन्तर्वासना की हॉट हिंदी सेक्स कहानियाँ

अन्तर्वासना की हॉट हिंदी सेक्स कहानियाँ

शादी में काव्या भाभी की चुदाई (shaadi me kavya bhabhi ki chudai)

सभी पाठकों को मेरा नमस्ते।
आशा है कि आप सभी अपनी जिंदगी की मस्ती में डूबे होंगे और अपने जिस्म की आग को बुझाने के मज़े ले रहे होंगे।

सबसे पहले मैं अपने बारे में बताता हूँ। मेरा नाम अर्जुन है, उम्र 22 साल, रंग गोरा, और कद 175 सेंटीमीटर। मैं उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से हूँ और एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता हूँ। पढ़ाई में मैं हमेशा अव्वल रहा, और मेरी सभ्य छवि ने सबके दिल में जगह बनाई। मेरी आकर्षक शख्सियत की वजह से जब चाहता, किसी को अपनी ओर खींच लेता।

ये मेरी पहली सेक्स कहानी है। अगर इस XXX हिंदी भाभी चुदाई कहानी में कोई चूक हो, तो माफ करें।

ये घटना 2021 की है, जब मैंने एक सरकारी परीक्षा पास की थी, लेकिन जॉइनिंग का इंतज़ार था। इस वजह से मैं घर पर खाली रहता था। उसी दौरान मेरे मामा के चचेरे भाई की बेटी की शादी थी। घरवालों ने मुझे वहाँ जाने को कहा। रिश्तेदारियों में मेरा कम आना-जाना था, इसलिए मन नहीं था, लेकिन मजबूरी में मैंने बैग पैक किया, बाइक उठाई और 50 किलोमीटर की दूरी डेढ़ घंटे में तय करके शादी वाले गाँव पहुँच गया।

वहाँ कुछ लोगों से मिला। खाना शुरू होने वाला था, तो मैं एक लड़के, रवि, के साथ खेतों की ओर घूमने निकल गया, लेकिन जल्दी लौट आया। शादी अगले दिन थी, और सभी तैयारियों में जुटे थे। मैं रवि के साथ बैठा गपशप कर रहा था, तभी एक भाभी आईं और उसे बुलाकर बोलीं, “बस कर, बहुत घूम लिया। चल, खाना खा ले।” मैं समझ गया कि ये रवि की माँ हैं।

उन्होंने मुझसे भी कहा, “तुम भी आओ, खाना खा लो।” मैं भूखा था, तो तुरंत उनके पीछे चल दिया। वो भाभी, जिनका नाम बाद में पता चला कि काव्या है, बेहद हसीन थीं। उनका दूधिया रंग, कमर तक लहराते घने बाल, और 36-26-38 का फिगर किसी को भी पागल कर दे। उनकी साड़ी से झाँकता गहरा क्लीवेज और मटकती गांड मेरे होश उड़ा रही थी। मैं उन्हें देखता रह गया।

जब वो खाना परोसने झुकीं, तो मेरी नजरें उनके ब्लाउज़ से उभरते मम्मों पर अटक गईं। उनकी रसीली चूतड़ों की उभार ने मेरे लंड में आग लगा दी। उन्होंने मेरी कामुक नजर पकड़ ली और साड़ी से खुद को ढक लिया। मैं शरमाते हुए खाना खाकर कमरे में सोने चला गया, लेकिन नींद कहाँ? काव्या भाभी की मादक देह मेरे दिमाग में नाच रही थी। मैं बाथरूम गया और उनकी नंगी देह की कल्पना में मुठ मारकर बाहर आया। तभी सामने काव्या भाभी खड़ी थीं। मुझे पसीने में देखकर वो नशीली मुस्कान बिखेरते हुए बाथरूम में चली गईं। मैं हँसते हुए सो गया।

सुबह मैं रवि के साथ फिर घूमा। उसने बताया कि उसकी माँ का नाम काव्या है और उसके पिता प्रोफेसर हैं। वो और उनकी माँ ही शादी में आए थे। वापस आने पर काव्या भाभी ने हमें खाना परोसा। मैंने मज़ाक में कहा, “रवि तो मौका देता नहीं, छोटों से ही दोस्ती करनी पड़ती है।” वो हँसकर चली गईं, उनकी मटकती गांड देखकर मेरा लंड फिर तन गया।

शाम को शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। मैं ऊपर छत के कमरे में गया, तो देखा काव्या भाभी कपड़े बदल रही थीं। उनकी लाल ब्रा और पेटीकोट में गोरी देह देखकर मेरा लंड पैंट में उछलने लगा। वो मुझे देखकर बाथरूम में भाग गईं। बाहर निकलने पर वो साड़ी में सजी-धजी अप्सरा लग रही थीं। उन्होंने कहा, “थोड़ा ध्यान रखा करो, ऐसे कमरे में नहीं घुसते।” मैंने सॉरी कहा और मज़ाक में बोला, “मैंने तो कुछ देखा ही नहीं।” वो हँसकर बोलीं, “बिना देखे ही ये हाल, देख लेते तो क्या होता!” फिर वो चली गईं, और मैंने बाथरूम में उनकी मखमली देह सोचकर फिर मुठ मारी।

शादी की रात पंडाल में भीड़ थी। कुछ लड़कियाँ मुझे लाइन दे रही थीं, लेकिन मेरी नजर सिर्फ़ काव्या भाभी को ढूँढ रही थी। मैं ऊपर कमरे में लेट गया, क्योंकि नीचे की चहल-पहल से बेहतर था आराम करना। थोड़ी देर बाद काव्या भाभी अपने बेटे को सुलाने आईं। वो उसे लिटाकर लेट गईं। रवि ने लाइट बंद कर दी। मैं एक कोने में था, बीच में भाभी, और दूसरी तरफ रवि। उनकी नंगी कमर और उभरी गांड देखकर मेरा लंड तन गया। मैंने सोने का नाटक करके उनकी कमर पर हाथ रखा। उनकी रेशमी त्वचा ने मुझे बेकाबू कर दिया।

मैंने धीरे से उनके मम्मों को दबाया। वो हिलीं, तो मैंने हाथ हटा लिया। वो उठकर साड़ी ठीक करके नीचे चली गईं। मैं निराश होकर सो गया। रात तीन बजे गेट की आवाज़ से नींद खुली। काव्या भाभी आईं, साड़ी के पिन निकाले, और बाथरूम जाकर मुँह धोकर लेट गईं। मैंने फिर हिम्मत की और उनकी कमर पर हाथ रखा। वो पीठ करके लेटी थीं। मैं उनकी गर्दन पर गर्म साँसें छोड़ने लगा और उनके रसीले मम्मों को दबाया।

वो तड़पने लगीं, लेकिन आँखें बंद रखीं। मैंने उनकी साड़ी ऊपर की और उनकी चिकनी जाँघों को सहलाया। उनकी पैंटी गीली थी, जैसे उनकी चूत प्यासी हो। मैंने उनकी मोटी गांड दबाई और चूमी। वो सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने उनकी पैंटी उतारी और उनकी रसीली चूत को चाटने लगा। वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं। मैंने 69 की पोजीशन ली, और वो मेरे 7 इंच के लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।

10 मिनट बाद मैंने उन्हें चूमना शुरू किया। वो मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगीं। मैंने उनके पैर उठाए और एक झटके में लंड उनकी गीली चूत में पेल दिया। वो चीखीं, लेकिन डीजे की आवाज़ में सब दब गया। मैं उन्हें तेज़ी से चोदने लगा। वो नीचे से गांड उठाकर मेरा साथ दे रही थीं। “आह, अर्जुन, और तेज़… मेरी चूत की आग बुझा दो,” वो सिसकारते हुए बोलीं।

15 मिनट बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डालकर चोदा। उनकी मादक सिसकारियाँ मुझे और उत्तेजित कर रही थीं। फिर मैं नीचे लेट गया, और वो मेरे ऊपर आकर उछलने लगीं। उनकी साड़ी और पेटीकोट फर्श पर बिखर गए। 5 मिनट बाद वो चिल्लाईं, “और तेज़, मैं झड़ रही हूँ!” मैंने स्पीड बढ़ाई और उनकी चूत में ही झड़ गया।

हम 10 मिनट तक लिपटे रहे। फिर वो कपड़े पहनकर नीचे चली गईं। मैं उनके बेटे के पास लेट गया। सुबह की कहानी बाद में बताऊँगा।

ये मेरी पहली कहानी थी। मुझे लिखने का अनुभव नहीं, लेकिन मैंने अपनी कल्पना आप तक पहुँचाई।

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